
रक्सौल, बिहार: भारत-नेपाल सीमा पर SSB 47वीं बटालियन, पुलिस और एनजीओ के संयुक्त अभियान में फर्जी नेटवर्किंग कंपनी के आर एस, डी वी आर और दिनकर एसोसिएट के चंगुल से सैकड़ों बच्चों को रेस्क्यू किया गया। यह कंपनी ट्रेनिंग और रोजगार का झांसा देकर बच्चों को फंसाती थी और उनके परिजनों से 20 हज़ार रुपये की वसूली करती थी।
रेस्क्यू किए गए बच्चों में बिहार (नवादा, भागलपुर), झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम और नेपाल के बच्चे शामिल हैं। बच्चों को सिंडिकेट नेटवर्क के ज़रिए रक्सौल और आसपास के इलाकों में रखा जाता था।
जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी बच्चों को दवा दुकान, दवा कंपनियों में काम दिलाने का लालच देती थी। बच्चों को बताया जाता था कि उन्हें मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (MR) या सेल्स एजेंट की नौकरी मिलेगी। इसके लिए बच्चों से 20,000 रुपये की वसूली की जाती थी।
ट्रेनिंग के नाम पर बच्चों को घर-घर जाकर उत्पाद बेचने या फर्जी नेटवर्किंग बिजनेस में लगाया जाता था।
बच्चों को कहा जाता था कि ट्रेनिंग पूरी होने पर उन्हें बड़े शहरों में नौकरी दी जाएगी, लेकिन असल में उन्हें गुमराह कर काम कराया जाता था।
कंपनी बच्चों से पैसे वसूलने के बाद भी गार्जियन को फोन कर अतिरिक्त रकम मांगती थी। जो अभिभावक पैसे देने में असमर्थ होते, उनके बच्चों को अलग स्थान पर रखा जाता था।
जिला एसपी स्वर्ण प्रभात की निगरानी में अंजाम दिया गया। ऑपरेशन में 90 जवानों, जिनमें महिला सुरक्षाकर्मी भी शामिल थीं। शहर के अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई, जो देर रात तक जारी रही।
रेस्क्यू किए गए बच्चों को थाना परिसर लाकर आधार कार्ड चेक किए जा रहे हैं और उनके गार्जियन से संपर्क किया जा रहा है। बच्चे डरे हुए हैं और धीरे-धीरे आपबीती साझा कर रहे हैं। प्रशासन बच्चों की काउंसलिंग कर उनके मानसिक स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मानव तस्करी रैकेट वर्षों से सीमा पर सक्रिय था, लेकिन प्रशासन इसे पकड़ नहीं पा रहा था। कुछ अभिभावकों द्वारा उच्चाधिकारियों को शिकायत करने पर यह बड़ी कार्रवाई संभव हो सकी।
डीएसपी धीरेंद्र कुमार ने कहा कि फर्जी नेटवर्किंग कंपनी के सरगनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी हो रही है। उनके मोबाइल डेटा, लेन-देन और नेटवर्क की जांच की जा रही है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें।