रक्सौल: पलनवा गन फैक्ट्री कांड को लेकर घंटों चले ऑपरेशन के बाद हथियारों के मिले जखीरे ने लोगों को झकझोर दिया है तो वहीं सीमा की सुरक्षा और स्थानीय प्रशासन के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय एजेंसियों की सक्रियता पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। सवाल ये है कि आखिर सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसे कैसे गन फैक्ट्री स्थापित हो गई और इसकी जानकारी पुलिस-प्रशासन को नहीं लगी।
वैसे तो हथियारों की बरामदगी और गन फैक्ट्री के उद्भेदन के लिए 24 घंटे चले इस ऑपरेशन का श्रेय मोतिहारी SP स्वर्ण प्रभात को जाता है, जिनकी सूझबूझ, जनता के प्रति सुरक्षा का भाव और रणनीति से यह खतरनाक जाल टूट पाया। हालांकि अभी भी SP पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने में जुटे हुए हैं। तभी पलनवा कांड में संलिप्त की गिरफ्तारी बिहार के अलग-अलग जिले से भी हुई।
वैसे SP की सक्रियता और उनके काम करने के तरीके की तो खूब चर्चा हो रही है। लेकिन स्थानीय प्रशासन, क्योंकि जिस इलाके में इस गन फैक्ट्री का उद्भेदन हुआ है उसके करीब 10 किलो मीटर के अंदर में पलनवा थाना, रामगढवा थाना, भेलाही थाना, रक्सौल थाना साथ ही सीमा की सुरक्षा में तैनात SSB कैंप भी है वावज़ूद ऐसी गन फैक्ट्री स्थापित होना कई सवाल खड़े करता है।
ऐसे में अब स्थानीय लोगों सीमा सुरक्षा को लेकर काफी आशंकित है और सुरक्षा के लिए एजेंसियों की जिम्मेदारी तय करने की मांग कर रहे हैं। रक्सौल निवासी समाजसेवी नूरुलाह खान कहते हैं कि “हमने मुंगेर जैसे इलाकों में गन फैक्ट्री की चर्चाएं सुनी थी लेकिन रक्सौल के करीब गन फैक्ट्री स्थापित होना ऐसा कभी होगा सोचा नहीं था। सवाल ये है कि प्रशासन को इतनी भनक देर से क्यों लगी इसकी जांच होनी चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होगी।
“वहीं स्वच्छ रक्सौल के संयोजक रंजीत सिंह कहते हैं कि ” सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय प्रशासन, SSB के साथ ही CBI और रॉ जैसी एजेंसियां एक्टिव है फिर भी ऐसी घटना डराने वाली है। सरकार और प्रशासन लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी तय करें तभी सीमा की सुरक्षा में सेंघमारी नहीं होगी। अन्यथा न जाने और कितनी ऐसी फैक्ट्रियां गुपचुप संचालित हो जो किसी मासूम की जिंदगी छीनने के लिए लालायित तैयार बैठी हो।’