रक्सौल: रामनवमी के पावन अवसर पर भारत-नेपाल सीमावर्ती शहर रक्सौल एक बार फिर अपने सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव का अद्भुत प्रदर्शन किया। हजारीमल हाई स्कूल से आरंभ हुई इस भव्य शोभायात्रा ने ना सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का संचार किया, बल्कि समाज को संगठित करने का भी संदेश दिया। शोभायात्रा में हजारों रामभक्तों ने भाग लिया, जिनमें महिलाओं, युवाओं और बच्चों की संख्या उल्लेखनीय रही।

शोभायात्रा की शुरुआत हजारीमल हाई स्कूल में भगवान श्रीराम के भक्त हरिकिशन की अगुआई में हुई। मंच से भगवान श्रीराम से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। विदेशी भक्तों द्वारा हनुमान चालीसा और महामंत्र का पाठ इस आयोजन का विशेष आकर्षण रहा, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सनातन संस्कृति की पहुँच और प्रभाव को दर्शाया।
इसके बाद, विशाल शोभायात्रा हजारीमल से कोरिया टोला, कोडियार नहर चौक, ब्लॉक रोड, स्टेशन रोड होते हुए बाटा चौक तक पहुँची। शोभायात्रा पुनः मेन रोड से गुजरती हुई हजारीमल हाई स्कूल पर समाप्त हुई। यह यात्रा लगभग 200 गांवों से आए भक्तों के सहभाग से जन-जागरूकता का प्रतीक बन गई।

पुलिस प्रशासन की दिखी सक्रियता
हर चौक-चौराहे पर रामभक्तों के लिए नींबू पानी और शरबत की व्यवस्था थी। सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त रही, पुलिस बल सुबह से ही सतर्कता के साथ मौजूद रहा। यातायात को वनवे करके सहज और सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की गई।
इन्हें भी पढ़ें: रक्सौल नगर परिषद के ईओ मनीष कुमार ने किया सड़क निर्माण कार्यों का निरीक्षण
राष्ट्रीय बजरंग दल के विभाग प्रमुख दिग्विजय पार्थ ने बताया कि इस शोभायात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करना नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज को संगठित करना है। उन्होंने कहा, वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य में हमारी एकता ही हमारी शक्ति है। यह शोभायात्रा उसी उद्देश्य की ओर एक मजबूत कदम है।

इस शोभायात्रा ने रक्सौल क्षेत्र में एकता, संस्कृति और धर्म की चेतना को और भी प्रखर किया। यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि सनातन परंपराएं आज भी जनमानस में जीवंत हैं और हमारी नई पीढ़ी उन्हें अपनाने को तैयार है।
रामनवमी जुलूस के दौरान अनुमंडल पदाधिकारी शिवांशी दीक्षित ने बड़ी मस्जिद के पास सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाली और उनकी निगरानी में शोभायात्रा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।