RAXAUL: भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र रक्सौल को अंधेरे से बचने के लिए एक बार फिर नगर परिषद की सक्रिय बढ़ गई है। वहीं नगर परिषद की पहल से लोगों में उम्मीद की किरण जगी है कि अंतरराष्ट्रीय महत्व का शहर एक बार फिर रात के अंधेरे में दूधिया रौशनी से जगमग होगा।
दरअसल नगर परिषद रक्सौल क्षेत्र के सभी वार्डों में पहले से ही प्रकाश के लिए स्ट्रीट लाइट बिजली के पोल पर या जहाँ बिजली का खंभा नहीं है वहाँ स्पेशल खंभा लगा कर लाइटें लगाई है। लेकिन लगातार लाइटों के खराब होने की शिकायत के बाद अब नगर परिषद अब सभी 25 वार्डों में लगे स्ट्रीट लाइटों का सर्वे करा रहा है। नप द्वारा कराये जा रहे सर्वे को नगर परिषद के कर्मचारी कर रहे हैं। ये कर्मचारी स्ट्रीट लाइटों की संख्या, लाइट लगने का स्थान, स्थिति, किस कंपनी की लाइट है वो और कितने वॉट का बल्ब जल रहा है उसकी जानकारी जुटा हैं। इसका मकसद है खराब पड़े स्ट्रीट लाइटों को सही कराया जाएगा और जहां जरूरत होगी वहां नई लाइटों को लगाया जाएगा जा सकता है। वहीं जानकारी के मुताबिक सर्वे के लिए नगर परिषद के कर्मचारियों को मात्र 3 दिनों की मुहलत मिली है, जिसका सर्वे रिपोर्ट जल्द से जल्द जमा करना है।
सर्वे कार्य में वार्ड पार्षद बन रहे हैं बाधा
एक तरफ जहाँ कम समयावधि के कारण परिषद के कर्मचारी जल्दी-जल्दी काम निपटाने में लगे हैं, वहीं कई पार्षद कर्मचारियों के काम में बढ़ा बन रहे। सर्वे कर्मचारियों के मुताबित “वार्ड पार्षदों को लग रहा है कि इस सर्वे में नप के कर्मचारी जो लिखकर ले जायेंगे उनके रिपोर्ट के मुताबिक वहाँ लाइट लगाई जायेगें। इसके लिए कई वार्ड के पार्षद सर्वे कर्मचारियों पर अपने सुविधा के मुताबिक लाइट लगवाने का दबाव बना रहे हैं भले ही वहाँ बिजली का पोल हो या नहीं। कई वार्ड पार्षद तो लोगों के घरों और छतों पर लाइट लगाना है ऐसा बोल के कर्मचारियों को धमकाने भी लगे हैं।” कर्मचारियों का ये भी कहना है हमारे पास ऐसे कोई फॉर्मेट या प्राप्त फॉर्म में ऐसे कोई जगह नहीं जहाँ हम डिमांड लिखे तो जनप्रतिनिधि नाराज हो जाते हैं।
क्या बोलते हैं परिषद के अधिकारी ?
नगर परिषद के कर्मचारियों से मिली शिकायतों को लेकर News Today ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार से फोन पर बात की तो उन्होंने जनप्रतिनिधि के तौर पर सर्वे काम में सहयोग की बातें जरूर स्वीकार की लेकिन वार्ड पार्षदों की दबाव वाली बातों से नाराज दिखें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि के तौर पर पार्षदों और अपने कर्मचारियों द्वारा हुए सर्वे रिपोर्ट उच्चस्तर पर भेज लाइटों को सुधार की योजना पर काम करेंगे। हालांकि पार्षदों के दबाव और डिमांड नहीं करना है जैसी शिकायतों पर उन्होंने कोई जांच की बात नहीं कही है।
सर्वे से लापरवाह नगर परिषद की खुलेगी पोल ?
भले ही नगर परिषद रक्सौल में खराब हुए स्ट्रीट लाइटों को सुधारने की योजना पर काम जरूर कर रहा है, पर नगर परिषद की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है शहर में चिलचिलाती धूप में जगमगाते स्ट्रीट लाइट और लाखों की लागत से खड़े मास्ट लाइट के दिन में जलते हुए बल्ब। कौड़िहार चौक, बाटा चौक या वार्ड नम्बर 1 बौधिमाइ मंदीर के पास खड़े मास्ट लाइट आपको दिनभर- रातभर जलते नज़र आयेंगे जिन्हें कोई देखने वाला नहीं है। इतना की नहीं कई दुकानों के सामने और मुहल्लों में लगे स्ट्रीट लाइट दिन में भी जलते रहते हैं इसके समय पर जलाने-बुझाने के सवाल पर लोग कहते हैं कि इसमें कोई स्वीच ही नहीं लगा तो हम कैसे बुझाएं। ऐसे दिन-रात जलने के कारण ही शहर की लगभग 100 में 80 लाइटें खबर हो गई है जिसका खुलासा सर्वे रिपोर्ट आने के बाद होगा।
सर्वें खोलेगा भ्रष्टाचार की पोल?
जानकारी के मुताबिक शहर में कई वार्डों के साथ की मुख्यपथ पर भी सैकड़ों की संख्या में नयें खंभे लगाकर स्ट्रीट लाइट लगाए गए थे। खासकर कोरियाटोला से लेकर कस्टम होते हुए डंकन अस्प्ताल तक लाइट लगी थी। ये लाइट शहर की चमक में चार चंद लगा रहे थे। लेकिन हाल के दिनों में सड़क किनारे नाला निर्माण के कारण सभी लाइटों को हटा दिया गया पर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी ना लाइटों को यथा स्थिति लगाया गया, ना उसके बारे में कहीं कोई कुछ भी बताने को तैयार है। अब देखना ये है कि क्या इस रिपोर्ट में शहर की उन लाइटों का जिक्र होता है, ये सर्वे रिपोर्ट भी भ्रस्टाचार का पोल खोलने में विफल हो जायेगा।