हादसे को निमंत्रण देती लापरवाही, रक्सौल ढाला बन गया है संकट

Raxaul: भारत-नेपाल सीमा से सटे रक्सौल रेलवे जंक्शन की गुमटी संख्या 33 पर आए दिन ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जो किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका को जन्म देती हैं। यह गुमटी नेपाल सीमा से महज कुछ मिनट की दूरी पर है, और यहीं से भारत-नेपाल सीमा का प्रमुख प्रवेश द्वार भी स्थित है।

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दरअसल भारतीय शहर रक्सौल, बीरगंज (नेपाल) के लोगों के लिए खरीदारी करने का बाद केंद्र है जहाँ प्रतिदिन हज़ारों नेपाली रक्सौल में खरीदारी करने आते हैं, वहीं भारतीय लोग भी हज़ारों की संख्या में प्रतिदिन नेपाल जाते हैं। इतना ही नहीं शहर का प्रमुख जीवन रक्षक डंकन अस्पताल भी जाने के लिए इसी रास्ते का उपयोग करते इसी बहाने ये इलाका भीड़भाड़ के लिए प्रसिद्ध हो चुका है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या ये है कि रक्सौल से चलने वाली सभी ट्रेन इसी रूट से वाशिंग के लिए जाती है।

रक्सौल ढाला पर हादसे को निमंत्रण देती लापरवाही
ट्रेन के रुकते ही फाटक पर करते लोग

इन ट्रेनों में सत्याग्रह एक्सप्रेस, जनसाधारण, बंदे भारत जैसी कई महत्वपूर्ण ट्रेनें इसी मार्ग से गुजरती हैं। जंक्शन पर स्थित वॉशिंग पिट, पात्री परिवर्तन और सेंटरिंग की गतिविधियों के कारण अक्सर डाला (रेल पटरी कार्य में उपयोग होने वाला भारी सामान) रेलवे ट्रैक पर गिरा रहता है, जिससे गुमटी अक्सर बंद रहती है।

रक्सौल ढाला पर हादसे को निमंत्रण देती लापरवाही
रक्सौल ढाला पर हादसे को निमंत्रण देती लापरवाही

इसी कारण लोग जान जोखिम में डालकर बंद गेट के बीच से रेलवे ट्रैक पार करते हैं। तीन से चार लाइनें होने के कारण स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। लोग डाले के बीच, दोनों बैरियर के मध्य खड़े होकर ट्रेन की गति का अनुमान लगाते हैं और जैसे ही ट्रेन कुछ कदम दूर होती है, वे ट्रैक पार करने की कोशिश करते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि कई बार लोग ट्रेन रुकने पर उसके नीचे से निकलने का प्रयास तक करते हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी इस जानलेवा क्रॉसिंग का हिस्सा बन जाते हैं। कुछ लोग खुले गेटों से निकलने के लिए रेल बैरियर को जबरन हटाकर भागते देखे गए हैं।

यह दृश्य अमृतसर में हुए भीषण हादसे की याद दिलाता है, जब भीड़ अचानक ट्रेन की चपेट में आ गई थी। रक्सौल की स्थिति भी किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है। यदि रेलवे प्रशासन ने समय रहते इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया, तो यहां भी एक दर्दनाक घटना घट सकती है।

इस संबंध में जब आरपीएफ इंस्पेक्टर ए.के. चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, इस पर रेलवे प्रशासन की पूरी नजर है। लोगों को वहां बराबर रोका जाता है और आगे भी रोका जाएगा। इस तरह की घटनाएं सच में एक बड़े हादसे को आमंत्रित करती हैं। यात्रियों से अपील है कि वे जल्द बाज़ी न करें। इसके लिए हम वहां अतिरिक्त रेल पुलिस की निगरानी भी कर रहे हैं, ताकि लोग अंदर ना आ सकें। श्री चौधरी ने तुरंत उसे संपर्क संख्या 33 पर उपस्थित गेटमैन से जानकारी लेने में जुटे गए।

रक्सौल के रेल सुरक्षा सलाहकार अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि रेल प्रशासन और आम जनता दोनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि हादसों से बचने के लिए जरूरी सतर्कता बरती जाए। यह सिर्फ एक रेलवे गुमटी की नहीं, बल्कि सुरक्षा और लापरवाही के उस दोराहे की है जहां जरा सी चूक भी सैकड़ों ज़िंदगियों को संकट में डाल सकती है।

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