रक्सौल की धरती पर जब कोई बच्चा अपने भविष्य को लेकर सपना देखता है, तो एक नाम उसकी प्रेरणा बनकर सामने आता है एसडीएम सुश्री शिवांक्षी दीक्षित। अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से कम उम्र में आईएएस बनने वाली यह अफसर आज न केवल प्रशासन चला रही हैं, बल्कि बच्चों के दिलों में उम्मीद का उजाला भी जगा रही हैं।
अक्सर रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के मध्य विद्यालयो में बच्चों के मिड-डे मील (खिचड़ी) कार्यक्रम में एसडीएम दीक्षित ने औचक निरीक्षण के दौरान बच्चों के साथ ज़मीन पर बैठकर खाना खाया। उनके इस व्यवहार से न केवल बच्चे खुश होते है,बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के चेहरे पर भी गर्व की मुस्कान झलक उठती है।
एसडीएम शिवांक्षी दीक्षित का बच्चों के बीच बैठकर खिचड़ी खाती हुईं नजर आना बच्चों की शिक्षा और मनोबल को बढ़ावा देने का अद्भुत दृश्य होता है।
इस मौके पर उन्होंने बच्चों से बातचीत की, उनकी पढ़ाई की जानकारी ली और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा पढ़ाई ही वह रास्ता है जिससे आप अपने जीवन को बदल सकते हैं। मैं हमेशा आपके साथ हूं।
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एसडीएम दीक्षित का बच्चों के प्रति यह अपनापन नया नहीं है। इससे पहले भी वे कई स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचकर बच्चों के साथ समय बिता चुकी हैं। कभी खेल सामग्री बांटना, तो कभी बैडमिंटन कोर्ट तैयार करवाना हर बार उन्होंने बच्चों के सपनों को पंख देने की कोशिश की है।
बच्चों और माता-पिता में यह संदेश साफ पहुंचता है।अगर पढ़ाई से नाता जोड़ोगे, तो एक दिन तुम भी अफसर बन सकोगे। यही सोच आज शहर के कई घरों में बच्चों को मेहनत की ओर ले जा रही है।
एसडीएम शिवांक्षी दीक्षित का यह मानवीय पहलू यह बताता है कि अफसर सिर्फ कुर्सी पर बैठने वाला व्यक्ति नहीं होता, बल्कि समाज के हर वर्ग से जुड़कर बदलाव लाने वाला मार्गदर्शक होता है।
उनकी यह सादगी और सेवा भावना आज रक्सौल जैसे सीमावर्ती कस्बे में शिक्षा की नई रोशनी बिखेर रही है। और शायद यही वजह है कि आज हर माँ बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा भी एक दिन शिवांक्षी दीक्षित जैसा बने। देश के लिए कुछ करने वाला, समाज में बदलाव लाने वाला।